कविता : आत्महत्या

हाल में मौत के ख़ौफ़ से सहसा वापस आ रहा हूँ मैं निराशा भी खुशी के साथ खुश है कि मैं वापस आ गया। वरन खेद है कि चन्द्र - जन कैसे अपना लेते देह को त्यागने का फैसला जिसका आरंभ इतना कष्ट देय है कैसे पूरी करते वो ये दुर्लभ यात्रा ? कैसे झूल … पढ़ना जारी रखें कविता : आत्महत्या

यूथ पैनल, हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय का घोषणापत्र

क्रान्ति                           परिवर्तन                            विकास यूथ पैनल, हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय का घोषणापत्र Manifesto of Youth Panel, Hansraj College Delhi University                              WELCOME FRESHER'S                                JOIN YOUTH PANEL भारतीय संविधान के भाग - 3, अनुच्छेद (19 - 22) द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता का अधिकार के तहत हम युवा छात्र - छात्राएँ अपनी आवाज बुलन्द कर रहे हैं........ 1. … पढ़ना जारी रखें यूथ पैनल, हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय का घोषणापत्र

21वीं सदी के सन् 2010 के बाद का भारत………….

21वीं सदी को 'विकास की सदी' की संज्ञा देना ठीक ही है। 21वीं सदी में सारी दुनिया में हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी, इण्टरनेट और सोशल मीडिया की अहम भूमिका है। इण्टरनेट के कारण हर खबर क्षण भर में सारी दुनिया में फैल रही है। इण्टरनेट के कारण ही भाषा, … पढ़ना जारी रखें 21वीं सदी के सन् 2010 के बाद का भारत………….

प्रतिलिपि पर पढ़ें – “परिवर्तनवाद / कुशराजवाद”

"परिवर्तनवाद / कुशराजवाद", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/aaK9jI00VBPV?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!

परिवर्तनवाद / कुशराजवाद

   दार्शनिक सिद्धांत -: परिवर्तनवाद / कुशराजवाद कुशराज के (मेरे) विचारों को परिवर्तनवाद/कुशराजवाद की संज्ञा दी जाती है। परिवर्तनवाद दार्शनिक, राजनैतिक और सामाजिक सिद्धांत है। यही साहित्य के क्षेत्र में विकासवाद के नाम से जाना जाए। कुशराज का (मेरा) मूल मन्त्र है कि क्रान्ति, परिवर्तन और विकास प्रकृति के शाश्वत नियम हैं। कुशराज (मैं) हर क्षेत्र में … पढ़ना जारी रखें परिवर्तनवाद / कुशराजवाद

बुन्देली – हिन्दी शब्दकोष ✍ सत्येन्द्र सिंह किसान

भूमिका जब से इस धरती पर मनुष्य का जन्म हुआ तभी से भाषा का भी प्रादुर्भाव हुआ। भाषा के द्वारा ही हम मनुष्य और प्राणिजन अपने भावों, विचारों और सोच का परस्पर एक - दूसरे तक आदान - प्रदान कर पाते हैं। विचार और सोच के बल पर ही सारी दुनिया चल रही है। लिपि … पढ़ना जारी रखें बुन्देली – हिन्दी शब्दकोष ✍ सत्येन्द्र सिंह किसान

लेख – हम हिन्दुस्तानिओं को अंग्रेजी का गुलाम मत बनाओ…….

हम हिन्दुस्तानी सरकार से गुजारिश करते हैं कि हमें विदेशी भाषा अंग्रेजी के गुलाम मत बनाओ। हम हिन्दुस्तानी अपनी मातृभाषा और राष्ट्रभाषा हिन्दी में ही सारा काम - काज करना चाहते हैं। जिससे हमारी प्रगति होगी और देश का मान - सम्मान बढ़ेगा। हम अंग्रेजी का पूर्णतः बहिष्कार करते हैं। सुनो सरकार! ऐसी परिस्थितियाँ मत … पढ़ना जारी रखें लेख – हम हिन्दुस्तानिओं को अंग्रेजी का गुलाम मत बनाओ…….

नरवाद यानि पुरुष – विमर्श (Manism) ~: कुशराज

        क्रांति, परिवर्तन और विकास प्रकृति के शाश्वत नियम हैं। हर युग में क्रांतियाँ हुईं हैं, आंदोलन हुए हैं और आज भी हो रहे हैं। जिससे व्यवस्था में परिवर्तन हुआ है और निरंतर विकास का मार्ग प्रशस्त करने में कामयाबी मिल पायी है। इस धरती पर जब से जीवन की उत्पत्ति हुई है, तभी से … पढ़ना जारी रखें नरवाद यानि पुरुष – विमर्श (Manism) ~: कुशराज

मुक्तक

तेरी आँखों में सनम जब भी मैंने प्यार देखा है । खिले इस आशिकी के फूल में संसार देखा है ।। तुम्हें ही चुन लिया अपने लिए ओ जाने जा मैने । तुम्हारे अक्स को यूँ स्वप्न में हर बार देखा है ।। तुम जो हमसे यूँ मिले थे चलते फिरते राह में, बन गये … पढ़ना जारी रखें मुक्तक

कहानी -: तीन लौण्डे

मेहू आज कूड़ा फेंक दिया। नहीँ भैया, आज भी आंटी नहीँ आयी। चलो ठीक है। कल ध्यान से ये सब कूड़ा और वियर की बोतल भी फेंक देना। वैसे एक हफ्ता से पड़ा है, भौत बदबू मार रहा है। खाने वाली आंटी भी बोल रही थी शाम को। जब तुम मल्कागंज तरफ गए थे अपने … पढ़ना जारी रखें कहानी -: तीन लौण्डे